5 Tips about hindi kahani You Can Use Today

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एक दिन की बात है मोती बाजार से सामान लेकर लौट रहा था।

यह कहानी पंचतंत्र या ईसप की सूत्र कथाओं की तरह है, लेकिन मौजूदा दौर में भोगवादी (हेडोनिस्ट या फिलिस्टिनिस्टिक कंज़्यूमरिज़्म) मानसिकता की वजह से अपनी स्वतंत्रता खोकर ग़ुलाम हो जाने की प्रवृत्ति पर यह एक स्मरणीय टिप्पणी है.

कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।

आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा। आज सियार को बड़ा शिकार मिला था।

धत्! कल हो गई. देखते नहीं. रेशमी बूटों वाला सालू...?"

साहित्यिक-राजनीतिक वजहों से उपेक्षित कर दी गई धर्मवीर भारती की यह कहानी अपनी कथावस्तु, विन्यास और विलक्षण विवरणात्मकता में प्रगतिशील परंपरा की अत्यंत महत्वपूर्ण यथार्थवादी कहानी है.

यह सुन कर सभी लोगों की सांसे रुकी की रुकी रह गई। सभी ने एक दूसरे को देखा। सन्यासी ने परिवार के सभी सदस्यों से एक एक कर पूछा पर किसी ने भी हां नहीं कहा। सभी ने अपनी जान की जरूरत बताई और अपनी जिम्दारी भी।

मरने के पहले पागल बिशन सिंह की गाली, भारत और पाकिस्तान के लहूलुहान बंटवारे पर एक ऐसी टिप्पणी बन जाती है, जो अब विश्व कथा साहित्य में एक गहरी, मार्मिक, अविस्मरणीय मनुष्यता की चीख़ के रूप में हमेशा के लिए उपस्थित है :

उस के पिताजी बेहद ही वृद्ध और सरल, निश्चल स्वभाव के व्यक्ति थे।

मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।

बाहर शोरगुल मचा। डोडी ने पुकारा — ''कौन है?'' कोई उत्तर नहीं मिला। आवाज़ आई — ''हत्यारिन! तुझे कतल कर दूँगा!

क्रोध और वेदना के कारण उसकी वाणी में गहरी तलख़ी आ गई थी और वह बात-बात में चिनचिना उठता था। यदि उस समय गोपी न आ जाता, तो संभव था कि वह किसी बच्चे को पीट कर अपने दिल का ग़ुबार निकालता। गोपी ने आ कर दूर से ही पुकारा—'साहब सलाम भाई रहमान। कहो क्या बना रहे विष्णु प्रभाकर

काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।

को पढ़ता है तो वह कहानी को अच्छे से समझ पता है लेकिन जब कोई इंग्लिश कहानी को पढ़ता है तो उसे समझने में परेशानी होता है।

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